नमस्कार दोस्तों!
मैं युवा गीतकार जय हाज़िर हूँ एक प्यार भरी गजल के साथ।
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आज की रचना –
आई थी समंदर से वो उफान की तरह,
मैं रह गया उजड़े हुए जापान की तरह।
कुछ ही समय पहले जो थे दिल के बहुत करीब,
मिलते हैं वो अक्सर हमें अनजान की तरह।
मिलती नहीं हर शाह को मुमताज़ हर जगह,
हर शाह भी होता नहीं शहजान की तरह।
गीत,संगीत एवं स्वर – जयप्रकाश मिश्र (गीतकार जय)
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